Poetry ka Tadka

शनिवार, 15 अगस्त 2020

मै इश्क़ तुम्ही से करता हूँ

 मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ 

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ  

पर कहने से मै डरता हूँ

कही नाराज़ ना हो जाना  तुम

यह सोच कर डर मुझे लगता है

होगा तुझको भी प्यार कभी 

ये सोच के खुश मै रहता हूँ

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ  

पर कहने से मै डरता हूँ

दिल पर मेरे जोर नहीं

मेरे प्यार  में कोई दोष नहीं

कैसे यकीन दिलाऊ मै 

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ 

कैसे समझाऊ तुझको मै

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ

पर कहने से मै डरता हूँ

जबसे तेरा दीदार हुआ

 सपना मेरा  साकार हुआ

गर आँखों से ओझाल होती हो

दिल में हूक से  मेरे उठती है

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ

पर कहने से मै डरता हूँ


मुझको तुमसे प्यार हुआ

मै प्यार  तुम्ही से करता हूँ  

पर कहने से मै डरता हूँ

तेरा चंचल चितवन देखकर

दिल  में मेरे बवाल मचा

रातों की नींदे चली गयी

दिन का  भी मेरे करार  गया

मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ 


मै इश्क़ तुम्ही से करता हूँ

  मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ  मै इश्क़  तुम्ही से करता हूँ   पर कहने से मै डरता हूँ कही नाराज़ ना हो जाना  तुम यह सोच कर डर मुझे लगता है होगा...